रविवार, 31 अक्तूबर 2010

ओबामा और धुनिया

आज नारद मन काफी उत्सुक हुआ जा रहा है .. कारण देश कि राष्ट्र गरिमा और वैश्विक मान- सम्मान का जो है . साथ में हमारी सांस्कृतिक विरासत "अतिथि देवो भव:" भी इस मौके पर खूब निखर कर सामने आ रही है. और इस विरासत कि एक झलक पुरे विश्व को दिखाने का एक सुनहरा मौका भी हमारे सामने है. सो इस उत्सुकता को हम कब तक अकेले बांधे रखते. सोंचा चलो कुछ उत्सुकता शेयर कर लिया जाये ..... तो सामने से धुनिया कंधे में कुदाल लिए आते दिख गया. मैंने धुनिया को टोक दिया ..... क्या रे धुनिया इ खुरपी कुदाल कन्धा में लिए सबेरे - सबेरे कहाँ चल दिया.
.... कुछो नाही बाबु बस यही सुखाड़ में सरकार ने आलू का बीज दिए रहा सो उका हीं खेत में लगाये जात रहीं...
.... अरे ..! तो सरकार ने तो दू - तीन मन आलू का बीज दिया होगा न, उका तू अकेले हीं लगाएगा अपना खेत में ...
.. कहाँ तीन मन बाबु उ तो करमचारी कहत रहा कि, " रे.. धुनिया इ बहुत बड़ा सुखाड़ है कई अन राज में भी में भी सुखा पड़ा है ... सो परतेक किसान को पांच- पांच सेरी हीं आलू का बीज मिलिहें ... भाई हम सबन के तो सबका भला सोंच के चले के होई ना.. जो इ पांच सेरी बीज लेना हो तो लाइन में लग जाओ.." बस बाबु उहे पांच सेरी बीज के वास्ते खेत तैयार करेके जात रहीं .. और इतना बीज खातिर कहाँ आदमीं के खुसामद करेके जात बाबु.
.... अच्छा ठीक तू आलू शालू करते रहना एगो ख़ुशी का बात हुई रहा . सुनोगे तो आसचर करोगे .
... उ का बाबु..! कौनो मेहमान आवत हैं का .
... हाँ .. धुनिया ..! मेहमान हीं आवत हैं . पुरे सात समंदर पार अमेरिका से.
... मेहमान ..! और उ भी सात समंदर पार से..! तब तो बाबु अपना गाँव को काफी सजाये के पड़ी ..
... अरे नाही रे धुनिया ..! तू पूरा गवारे रह गवा है हमारा गाँव में कोई सात समंदर पार से काहे आवेगा . मेहमान तो आवत हैं आपन देश दिली में .
... बाबु इ मेहमान कौन हैं.?.
... इ मेहमान हैं अमरीका के राष्ट्रपति, ओबामा ...!
.... बाप रे ...! इ कइसा नाम हुआ बाबु .. ओबामा ...!..? जइसे कोई आपन माई और बाप को एक साथे बुला रहा हो .. ओबामा ...!...?
... अरे मुरख ..! इ ओबामा पूरा दुनिया के माई बाप हैं . इ जौन बोल दिहें वही इ दुनिया में सब करत है ... इ पूरा दुनिया भर में इनका बात कोई नाही उठावत है ..
... तब तो इ बड़ा विशेष आउर समानित मेहमान होइहें बाबु...
.... हाँ धुनिया इनका देश में आवे आउर रहे के खातिर भरपूर व्यवस्था हुआ है . ओबामा के सुरक्षा में हर घंटा पंद्रह लाख के खरचा सरकार करत है. ओबामा तीन दिन देश में रहियें उनका खान - पान, घूमना - फिरना और सुरक्षा में पूरा पंद्रह करोड़ के खरचा सरकार के ऊपर बैठिहें . ओबामा के रहे के बेवस्था में फाईब स्टार होटल के ४४० कमरा खाली इनका रहे खातिर बुक करावल गवा है. अब तुहीं सोचो कि इ ओबामा केतना बिशेस मेहमान होहिहें .
....तब तो बाबु इ माई बाप, मतलब कि ओबामा बहुते महंगा मेहमान होइहें.
....सिरफ इतने ना हीं धुनिया, इ ओबामा के साथ इनका खाना बनावे के खातिर रसोइया, सुरक्षा के खातिर अपना प्रहरी ऑउर बैपार खातिर बैपारी सहित कतना आउर आदमी आये रहा है.
....मतलब कि इ ओबामा...! अपना साथे पुरे का पूरा मोहल्ला लइके हियाँ आई रहे है.... अच्छा तो बाबु इ ओबामा हियाँ तीन चार दिन का करिहें.
.... अरे धुनिया ...! ओबामा भारत और अमरीका के रिश्ता मजबूत करे के खातिर ऑउर भारत के साथ आपन बैपार बढ़ावे के खातिर भारत आइ रहल हैं. इका अलावे सुरक्षा और सहयोग के साथे कतना आउर मामला में भारत और अमरीका के दोस्ती और रिश्ता के मजबूत करिहें .
.... बाबु इका में एगो सवाल हमरा मन में उठत रहा .
.... उ का धुनिया.
.... बाबु इतना करे से तो अच्छा रहा कि उ माई बाप मतलब उहे ओबामा के आपन देश बुलाये के ना चाहत रही .
.... अरे ...! इ का कहत हो धुनिया संसार का एतना बड़ा आदमी भारत आये तो हमार देश का सम्मान हुआ, ना धुनिया .
..... कइसन सम्मान बाबु ... एक तो उ ओबामा और उनका पूरा मोहल्ला के स्वागत में केतना सेपाही,पोलिस तीन दिन सुइहें ना . ऊपर से एतना बड़ा खरचा, सिरफ एगो दोस्ती और रिश्ता बनावे खातिर ना बाबु . उ से तो अच्छा रहता कि एतना बड़ा पैसा सरकार हम सबन किसान में खरचा कर देवत रहा... उ से पांच सेरी के स्थान पर हम सबका पांच - पांच मन आलू के बीज मिल जात रहा तो ससुरी सुखार तो ऐसे हीं भाग जात रही ... आउर तो आउर बाबु जब एतना खरचा सरकार कर हीं रही थी तो थोडा आउर कर देती तो, माई बाप मतलब कि ओबामा देश के दामाद हीं बन जात रहें, फिर दोस्ती भी पक्की और रिश्ता भी मजबूत...का बाबु .
........कहते हुए धुनिया फिर से कुदाल कंधे में लिया और खेत कि और चल दिया जाते - जाते धुनिया ने मेरी नारदीय उत्सुकता को चिंता में बदल दिया ...सोचने लगा माई भी कहाँ ओबामा कि चर्चा धुनिया से कर बैठा .... लेकिन पूरा दिन धुनिया कि बाते दिमाग में घुमाने लगी - ओबामा और दामाद ...! आखिर दामाद भी तो मेहमान हीं होता है,,, मतलब कि मेहमान आखिर दामाद हीं होता है ....
अभिषेक शास्त्री ..........

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